Munna chambal safari dholpur
Chambal safari dholpur देखिये मगरमछ चंबल सफारी के दौरान चंबल नदी में इस समय 1876 घड़ियाल, 706 मगरमच्छ, 74 डॉल्फिन और 10 हजार से ज्यादा कछुए हैं। चंबल का पानी घड़ियाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन, कछुओं को संरक्षण देने में कामयाब हुआ है। विदेशी चिड़ियां भी यहां आकर प्रजनन करने लगी हैं। अब इसे ईको टूरिज्म के लिए विकसित किया जा रहा है चंबल नदी में लुप्त होने की कगार पर पहुंचे जीव-जंतुओं की प्रजातियों को नया बसेरा मिला है। यहां घड़ियाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन और कछुओं की संख्या बढ़ रही है। देसी-विदेशी पक्षियों को भी यह प्राकृतिक घरौंदा रास आ रहा है। पांच अक्टूबर, 2009 को डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित कर संरक्षण के लिए चंबल को चुना गया था। जबकि 1979 से घड़ियाल, मगरमच्छ और कछुओं का संरक्षण हो रहा है। दुनिया में लुप्त हुई कछुओं की आठ प्रजातियां चंबल में मौजूद हैं। जिनमें नमामि गंगे प्रोजेक्ट में शामिल बटागुर कछुए भी शामिल हैं। जलीय जीवों ही नहीं चिड़ियों के लिए भी चंबल क्षेत्र प्रकृति का खूबसूरत घरौंदा बनकर सामने आया है। यहां पर दुनिया की 80 फीसदी इंडियन